Friday, April 8, 2016

गुरूजी की हर लीला निराली है ..

जय गुरूजी
गुरूजी की हर लीला निराली है .. हर युग में कोई न कोई अवतार आये जिन्होंने सबको पार लगाया ..इस कलयुग में शिव ही हमें भवसागर पार करा सकते हैं ..हमारे लिए शिव को खुद मानव रूप में आना पड़ा है ..शिव की महिमा का गुणगाण बिना शिव की इच्छा के कोई भी नहीं कर सकता ..

यदि यहाँ हम कुछ लिख पा रहे हैं ..तो ये गुरूजी की ही ब्लेस्सिंग है ..वो जो और जब हमें बताना चाहते हैं ..वही यहाँ हमें मिलता है ...हर पोस्ट तो हर संगत नहीं पढ़ती ..पर जब भी किसी का मेसेज हो उन्हें मिल ही जाता है ..क्यूंकि शिव खुद चाहते हैं कि वो मेसेज हम तक पहुंचे ...

जब शुरू शुरू में हम गुरूजी के पास जुड़े ..धीरे धीरे एक ही बिंदु पर आकर टिक गए ... कहीं बाहर भी हैं दिल्ली से ...गुरूजी को याद करें और शिव जी किसी न किसी रूप में सामने हों चाहे मंदिर हो या नाम हो या कहीं लिखा मात्र हो .. मिल ही जाता ..धीरे धीरे समझ आया कि गुरूजी ही शिव हैं ..शिव ही गुरूजी हैं ...आगे आगे जैसे यात्रा बढती गयी ,,गुरूजी के महाशिव रूप का पता लगता गया ...
ऐसा नहीं है कि किसी संगत ने आकर कह दिया कि गुरूजी महाशिव हैं और हमने मान लिया ..हर एक चमत्कार पर हमने अपने सारे लॉजिक लगा दिए ..हर कसौटी पर खुद ही अपने विश्वास को कसा ..तब जाकर समझ आया . महाशिव गुरूजी हम मानव को तारने आये हैं ,इस धरती पर ..

खुद के साथ ऐसे ऐसे घटनाओ को होते देखा जो साधारण मानव जीवन नहीं देख पाता है ...आम आदमी हो ...कहते गए गुरूजी पर , असाधारण ब्लेस्सिंग देते गए .इतने सारे चमत्कार यूँ ही नहीं घटित हो जाता ..महाशिव की कृपा पाने योग्य तो हम नहीं थे ..पर उन्होंने अपनाया ..अपने आशीर्वाद को निरंतर बनाये रखा ....इतना सब बस इस लिए की जो कुछ यहाँ लिख कर संगत तक पहुँच रहा है ..वो सच हो ..वो प्रैक्टिकल करने के बाद लिखा हुआ हो .

शिव की कोई भी लीला का वर्णन हम अपने अंदाज़ से या घटा या बढाकर नहीं कर सकते ..हम वो लिख सकते हैं जो सत्संग हुआ है हमारे साथ ..और पिछले दो सालों की यात्रा में गुरूजी ने मुझे वो सब दिखाया और करवाया जिसका उतर मानव के अभी तक के खोजे हुए विज्ञान में नहीं है ..

हाँ यदि हम ऐसे सवाल अपने धर्म ग्रंथों में ढूंढते हैं तो वहां ये सब होना संभव बताया गया है ...वहां जिस विज्ञान की बात हुई है वो आज के विज्ञान से काफी आगे है .. वहां मनुष्य जप तप ध्यान आदि से अपने को ज्ञान और उर्जा के उस उच्चतम स्तर पर ले जा सकता है ..जहाँ से वो सिर्फ सोचने भर के समय में उर्जा से पदार्थ और पदार्थ से उर्जा में स्थानांतरण कर लेता है..

अब ऐसे किसी साधू सन्यासियों के बारे में जानकर आश्चर्य नहीं होता कि वो हवा से लड्डू कैसे निकाल लेते थे ..कोई जल में भी कई दिनों तक आराम से रह पाता है तो कोई हवा में घंटो आराम से समाधी लगाता है ..कोई हिंसक पशुओं के बीच रहकर भी सुख से ध्यान में बैठता है तो कोई कीलों की सेज पर अपने शारीर को लिटाकर हठ योग से महाशिव को खुश करने की कोशिश कर रहा है
ऐसा नहीं है कि हमारे कानो तक ऐसी खबर नहीं आ रही थी पहले से ...हम बस अविश्वास के चादर में लपेट कर ही हर घटनाओ को देखा या सुना करते रहे ..यही कारण रहा कि न तो सृष्टि को समझ पाए ..और न ही सृष्टि के क्रिया कलापों को ....

ऐसे महान संत..या साधू के तप से सृष्टि कैसे टिकी हुई है ये बात तो तब पता चला..जब गुरूजी ने बताया कि उनके संगत के अंदर बहुत ही शक्ति है ..हर संगत को गुरूजी अपनी शक्ति नवाजे हुए हैं ...हम जब इकठ्ठा होकर किसी गोल के लिए अपनी उर्जा अपने प्रार्थना के रूप में इकट्ठी कर भेजते हैं ..तो असंभव काम भी हो जाता है ... चाहे ये किसी मरणासन व्यक्ति पर दया की प्रार्थना हो या पृथ्वी को घोर प्राकृतिक आपदा से बचाने के लिए की गयी प्रार्थना हो ..हम बिना कोई लक्ष्य के जो प्रार्थना विश्व के कल्याण के लिए करते हैं ..उसक असर हर मानव जीवन पर होता है ...

इस मार काट मचे हुए कलयुग में जहाँ भी ईश्वरीय शक्ति को सराहा जाता है ..महिमा गाया जाता है ..वहां से निकली पोसितिविटी पुरे ब्रह्माण्ड को फैलती है ...ऐसे ही नेगातिविटी भी फैलती है जब भी कुछ बड़ा नेगेटिव घटना घटित होती है ..जो उर्जा कल्याणकारी है वो जबतक क्षीण नहीं हो जायेगी .कल्याण करती ही जायेगी ....

गुरूजी हम संगत को भरोसा का दामन पकड़ कर आगे बढ़ने कहते हैं ..गुरूजी को पता है कि यदि वो हर बात हमें समझाना भी चाहें तो न तो हम समझ पायेंगे न ही उसपर चल पायेंगे ..सब उनपर छोड़ दें हम तो हम सही जगह पर पहुँच ही जायेंगे ..क्यंकि तब हमारे तरफ से प्रतिरोध नहीं रहता है

अभी तो हम इंसानों की ये आदत है ..कि किसी ने कुछ कहा और हमारा जबाब नहीं बोलने के साथ ही आगे बढ़ता है ...यानि सुनते ही हमने उसे मनाने से इनकार कर दिया ..यही आदत तो हमें कुछ ग्रहण नहीं करने देती ..ये इस बात का सूचित करती है ..कि हम अपने को सभी ज्ञान से परिपूर्ण ही समझते हैं ..अब जब मटकी पहले से ही भरी हम समझ रहे हैं तो उसमें और कुछ डालने की कोशिश ही नहीं करते ..

गुरूजी कहते हैं ..कि एक जन्म में सारी योनियों का कर्म कटवा पाना ..असंभव ही है ..पर गुरूजी का महाशिव रूप कोई न कोई कर्म करा कर प्रतिपल हमारे कर्म कटवा रहे हैं ..इतनी तेज़ी से की हम कुछ समझ नहीं पाते और हम उस कर्म से पार उतर जाते हैं ...जिनके कर्म काफी खोटे हैं ..पर वो यदि गुरूजी के पास पहुँच गए हैं तो गुरूजी उसके इस जन्म के कर्म तो कटवा ही देते हैं ..और अगला जन्म तो गुरूजी के सानिध्य में ही होगा ..तब वो अपनी योनियाँ कटवा सकता है ..
यानि कुछ भी हो अगर गुरूजी ने अपनी शरण में ले लिया है तो आज न कल हम सभी भवसागर से पार उतरेंगे ही ..बस याद रखना है कि हम जुड़े रहे महाशिव से ..
बहुत बार हम अपनी उर्जा अनर्थक बातों को जानने और समझने की कोशिश में ख़त्म कर देते हैं ..जैसे किसी शब्द का या किसी ड्रीम का क्या मतलब है ..जो दिखा उसे देख लें हम ..जो समझ आया कि करना है ..कर लें ...नहीं समझ आया तो शांत बैठ कर इंतज़ार करे ...हर वक़्त ध्यान रहे कि गुरूजी के मेसेज को बिना समझे कुछ अलग करके हम अर्थ का अनर्थ खुद कर लेते हैं ...

धैर्य बहुत जरूरी है .. आज के युग में कोई इंतज़ार नहीं करना चाहता ...सब चट से जबाब चाहते हैं ,.सब समझते हैं .गुरूजी कर्म कटवा रहे हैं ..तो आज या अब तो हम ख़ुशी मिल जानी चाहिए ..हम भूल जाते हैं कि ये कोई एक दो कर्म का लेखा जोखा नहीं है ..सदियों से जो करते आये हैं ..सबके साथ वही तो कर्म बन गया है .. चुकता हो पायेगा .. तभी कुछ हो पायेगा

तबतक हमें करना क्या है ..समय ही तो निकालना है ,.ख़ुशी हो गम हो .. हँसते निकाल पायें ..तो अपनी गति और तेज़ हो जायेगी ..गुरूजी के साथ बने रहना है खुश रहन है और आगे बढ़ते रहना है ..ऐसे देखें तो बड़ा ही आसान है ...इसे जटिल तो हम और हमारे परिवार मिल कर बना देते हैं ...

एक मेसेज था गुरूजी का जिसमें उन्होंने बताया कि हम किसी भी देश या जगह के हों हम वहीँ जाकर टिकेंगे जहाँ हमें अपने कर्म कटवाना होगा ...हमें अपनी मिटटी का भी क़र्ज़ चुकाना होता है ..और जो कर्म भूमि है वहां के तो क़र्ज़ होते ही हैं ...हममें से सभी को ऐसे कर्म जरूर करना है जिससे समाज को या अपनी धरती को कोई न कोई फ़ायदा पहुंचे ..यही हमारी सेवा होगी ..

पहले ज़माने में मिटटी के क़र्ज़ को बहुत ध्यान दिया जाता था ..लोग कहीं भी रहें ,कमाने खाने के लिए अपने घर,गाँव या मिटटी में रहते हुए लोगों के लिए तरह तरह की सुविधा मुहैया कराया करते रहे ..अब हमें भी इस बिंदु पर ध्यान देना होगा ..कुछ न कर सकें तो कम से कम गुरूजी से भी उनको जोड़ दें ..तो भी ये क़र्ज़ चुकता हो जाएगा ..क्यंकि इससे बड़ा उपहार तो हम किसी को कुछ दे ही नहीं सकते ..गुरूजी मिल गए तो सबकुछ मिल गया

जय गुरूजी

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