Saturday, March 5, 2016

सत्संग

एक बहन लंगर की सेवा करती थी । गुरु जी के हुक्म से उसकी हाजिरी जरूरी थी । और एक दिन उसका छोटा लड़का उम्र लगभग 7 साल, बहुत बिमार और उसे तेज बुखार था । उसे दवाई देकर अपनी सासू माँ के पास छोड़कर गुरु जी की सेवा में चली गयी ।
सेवा करते करते मन ही मन अरदास करने लगी कि .... गुरुजी मेरा बच्चा बिमार है मुझे आज जल्दी भेज देना plz...
लेकिन गुरु जी की लीला तो न्यारी है ।
जब आज्ञा लेने गयी तो गुरुजी ने कहा ... जा, चा बना संगत बास्ते । दुबारा आज्ञा लेने आई तो हलुया प्रसाद बनाने को बोल दिया ।
सेवा करते करते और रोते रोते उस बहन को गुरुजी बोले बीबी हुन घर जा । एह अंकल तेनू घर छोड़ देंगे ।
रास्ते भर रोती हुई और जय गुरूदेव कहती हुई घर पहुची। बारबार उसे अपने लड़के का ध्यान आ रहा था । जैसे ही घर पहुँची ...
उसका लड़का अपने दोस्त के साथ बीडियो गेम खेल रहा था । और जोरजोर से हंस कर बातें कर रहा था ।
फिर क्या था बीबी ने उसे गले लगाया और पूछा बेटा कैसी तबियत है ?
तो लड़का बोला आपके जाते ही आपके यह फोटो वाले गुरु जी आये और शाम तक मेरे साथ खेले । और आपके आने के थोड़ी देर पहले ही गये हैं ।
मैंने दोस्त को बुला लिया और बीडियो गेम खेलने लगा । तबियत का तो पता ही नहीं चला जैसे ही गुरुजी आये मैं ठीक हो गया ।

ये हैं हमारे गुरुजी
ये हैं हमारे परमपिता ।
!
JAI GURU JI

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