੧ਓ॥ जय गुरूजी ॥ॐ॥
गुरुजी कि संगत दिनों दिन बढती ही चली जा रही है .वो चाहे गुरुजी के मंदिर जा पाये या कहीं दूर विदेश में बैठी हो
आखिर क्या वज़ह है कि लोग खींचते चले आ रहे हैं ,जबकि गुरुजी physical form में भी नहीं हैं,
जैसा हम संगत जानते हैं ..गुरुजी महाशिव हैं और जन्म जन्म से बिखरे हुए अपने भक्तों को इस जन्म में मुक्ति प्रदान करने के लिए गुरुरूप में अवतरित हुए हैं.
दूसरी जो बात हमें गुरुजी से जोड़े रखती है वो है खुला मार्ग ,कहने का तात्पर्य यह है कि हम जिस भी धर्म के हैं ..धर्म कि बंदिशें इतनी हैं कि कभी कभी ये हमारे अध्यात्मिक विकास में बाधा पहुंचाती है,यदि हम पंडितों द्वारा दी गयी guidelines के हिसाब से नहीं चल पाये तो खुद पर ही शक कर बैठते हैं कि पता नहीं भगवान् नाराज तो नहीं हो गए और अगली बार अपना कदम आगे बढ़ाते ही नहीं हैं.पर यहाँ ऐसा कुछ नहीं है,बस गुरुजी ने हमरे मनोभाव को महत्व दिया.
एक बार मुझे किसी मंदिर के अंदर सेवा का अवसर मिला था.किसी ने पूछा ..non veg खाते हो,मैंने कहा खाती तो हूँ पर आज नहीं खाया है तुम अंदर नहीं जा सकती. मैं दुखी जरूर थी पर गुरुजी से पूछा कि मैं आपको non veg खाने के बाद भी छु सकती हूँ पर आपके मंदिर में नहीं जा सकती, ये कैसे सही हो सकता है. इसके जबाब में गुरुजी ने मुझे अपनाया , इतना प्यार दिया या कहें कि पूरी तरह से अपने शरण ले लिया.आज भी हम वैसे ही खाते पीते हैं और इतना ही नहीं..एक आडम्बर कि मंगल या गुरु वार को नहीं खाना चाहिए ,को भी गुरुजी ने हाल में ही छुड्वाया है.
यहाँ मैं ये नहीं कह रही कि nonveg खाना अच्छी बात है पर मेरा मानना है कि कोई भी चीज़ जो आपको छोडनी है उसे जब तक आपका मन ,पूरी तरह से त्यागने को तैयार नहीं है , त्यागने का कोई मतलब ही नहीं बनता.
गुरुजी कि भक्ति इन सबसे प्रभावित नहीं होती है वो सिर्फ और सिर्फ हमारा भाव (intention) देखते हैं ,हम किसी कि मदद करना चाहते हैं ,पर परिस्थितियां वैसे नहीं आये, मदद नहीं कर पाये .यहाँ दुनिया वाले कि निगाह में आपने कुछ नहीं किया पर भगवान् के खाते में आपका plus point बन जाता है
कोई संगत सिगरेट पीता है ,शराब पीता है तो क्या, वो गुरुसंगत के लायक नहीं है. ऐसा होता तो जब गुरुजी किसी संगत के शादी या किसी फंक्शन में जाया करते थे तो कभी कोई मनाही नहीं थी .गुरुजी के आ जाने से फंक्शन में जान आ जाती थी , सभी bless होकर जाते थे यदि गुरुजी ने रोक लगा दी होती तो क्या लोग शादी और सत्संग में अंतर कर पाते.
छोटे मंदिर में लंगर प्रसाद के पहले shabad चलते थे पर उसके बाद folk ,ग़ज़ल या हलके संगीत चलते थे ,गुरुजी घर पर भी आपको दिन रात शब्द सुनने को नहीं कहते हैं,जब तक मन रम रहा है तबतक ठीक है, हमें एक समान्य जीवन जीते हुए गुरुजी से जुड़े रहना है ,कुछ भी नहीं छोड़ना है जिससे आपसे जुड़े लोगों को गुरुजी और उनकी भक्ति बाधा के रूप में नजर आये .
जिस आदत से हमारा नुकसान हो रहा होगा उसे गुरुजी खुद ही छुडवा देंगे.हम जैसे हैं वैसे ही गुरुजी को प्रिय हैं.क्या सही है क्या गलत है ये हमरी विवेक समय समय पर हमें समझाती रहती है और यदि फिर भी हम जब अपने को कमजोर महसूस करते हैं तो गुरुजी से अरदास तो कर ही सकते हैं.
हमें गुरुजी का प्यार चाहिए तो इन सब से ऊपर उठाना पड़ेगा कि किसमे किसमे क्या बुराई है .हमें अपना नजरिया दुसरे पर नहीं थोपना है .चाय भी उतना ही toxic है जितना सिगरेट ,पर चाय पीने वाले पर तो आप ऊँगली नहीं उठाते.. .तो फिर आलोचना ही kuon ?इन सब में kuon उलझना , खुद को शांत करें , मौका मिला है गुरुमय होने का, जब गुरुजी किसी को प्यार से अपना सकते हैं तो हम आप कौन होते हैं किसी को पसंद या नापसंद करने वाले.
कोई बंदिश नहीं डाला गुरुजी ने ,हर काम हर आदत हमारी वही है ,पर जो परिवर्तन हो रहा है हमारे अंदर हो रहा है , यह जब बहार के कामो में दिखना शुरू होगा तो दुनिया के लिए आप एक सौगात होंगे , गुरुजी के हर एक संगत में इतनी उर्जा है कि वो एक दो नहीं ,पूरी community को रोशन कर सकती है,हर संगत में गुरुजी का वास है,तभी तो हम एक दुसरे को गुरुजी का message कितने आसानी से दे पाते हैं
कल किसी ने पूछा..आप गुरुजी के follower हैं,पता नहीं kuon पर मुझसे लिखा गया कि मैं गुरुजी की part(अंश) हूँ.
हम सब गुरुजी के ही part हैं पर अभी अपनी पहचान नहीं मिली है,गुरुजी हमारी हर क्षण मदद कर रहे हैं हमें अपने तक पहुँचाने में ,जिसे जो तरीका समझ आता है उसी तरीके से .
जिसे अलसर होता है उसे खूब मिर्ची वाला लंगर देते हैं ,उन्हें बस हमारे विश्वास को परखना होता है. मैं एक अंकल को जानती हूँ ,जिसके पास अपनी कार नहीं थी और उनकी सेवा बार बार ऐसे जगह पर लगाई जाती जहाँ दिल्ली कि सारी आलिशान गाड़ियां लगती थी ,ऐसा तब तक हुआ जब तक उन्होंने समर्पण नहीं कर दिया.
जिस कमजोरी के बारे में हमें खुद पता नहीं होता है उस कमजोरी को गुरुजी नाटकीय तरीके से न सिर्फ सामने लाते हैं बल्कि दूर करने में भी सहायता करते हैं,इस तरह हम एक कदम और आगे बढ़ते हैं
गुरुजी से मेहर मांगते हुए हम सब अपनी मंजिल यानी गुरुजी कि तरफ कदम बढ़ाते जा रहें हैं
गुरुपरिवर पर ऐसे ही कृपा बनी रहे|
जय जय गुरुजी
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